अकेलेपन से निपटना
अकेलेपन से निपटने के टिप्स:
- आपको जो कुछ महसूस हो रहा हो, उसमें आप अकेले नहीं हैं।
- अ). भावनाएं, लहरों की तरह होती हैं। जिस तरह तेज़ी से कोई लहर किसी किनारे को छूती है, उसी तरह वो हर बार ढल भी जाती है। लहरें कभी ऊंची, तो कभी नीची होती हैं। ठीक इसी तर्ज़ पर हमारे जज़्बात और भावनाएं होती हैं। मसलन, अकेलापन जो कभी बहुत ज़्यादा महसूस होने लगता है, तो कभी उसका वेग ढल भी जाता है।
- अकेलापन महसूस करने के दौरान अन्य भावनाओं के बारे में भी जागरूक बनें। जैसे- सुस्ती, क्रोध, निराशा, चिंता, और उदासी महसूस करना।
- अपने भीतर की सुखद भावनाओं को भी तरजीह दें, जिन्हें आप भले ही कुछ पलों के लिए अनुभव कर रहे हों। जैसे शांति, संतुष्ट, ख़ुशी, तनावमुक्त, और आशावान होना।
- ख़ुद से पूछें कि जब आप काफ़ी अकेलापन महसूस करते हैं, तो उस वक़्त आपको किस चीज़ की सबसे ज़्यादा ज़रूरत महसूस होती है। यह कुछ भी हो सकता है:
- जादू की झप्पी (गले लगना)
- किसी दोस्त से फ़ोन पर बात करना
- किताब पढ़ना
- गेम खेलना
- कोई कला बनाना- जैसे आर्ट और क्राफ़्ट
- संगीत सुनना
- उन बाहरी वजहों के बारे में सोचें जिनसे आपको अकेलापन महसूस होता है। (यह सोचना सही नहीं कि आपकी मुश्किलों की जड़ आप ही हैं)। जैसे-
- पेंडेमिक (महामारी)
- वर्क फ़्रॉम होम
- किसी अपने या क़रीबी की मौत
- दूसरों के साथ सीमित बातचीत
- अकेले रहने की चाह
- महामारी के दौरान, बड़े पैमाने पर लोग अकेलेपन का अनुभव महसूस करते हैं। यह अनुभव काफ़ी आम है। ऐसे में अपने एहसास को दूसरों के साथ बांटने और उनके साथ से, आपको मदद मिल सकती है। इस स्थिति में आपके दोस्त या क़रीबी लोग, अकेलेपन की उस भावना को कम करने में मददगार साबित हो सकते हैं। इन चीज़ों से आप अकेलेपन पर कुछ हद तक क़ाबू पा सकते हैं:
- उन लोगों को पहचाने जिन पर आप भरोसा करते हैं, ताकि उनसे आप बात कर पाएं
- नए लोगों /समुदाय से वर्चुअल तौर पर जुड़कर
- स्पोर्ट ग्रुप के ज़रिए
- किसी हेल्पलाइन पर कॉल करके
- अपनी भावनाओं के बारे में लिखकर