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किसी को प्रोफेशनल मदद ढूंढने में मदद करना

कारण जो व्यक्ति को मदद लेने से रोक सकते हैं

  • मदद लेने के कारण समाज द्वारा सनकी या कमजोर कहलाए जाने का भय, जो अंततः समाज में उचित स्थान प्राप्त न कर पाने के भय, शर्म, या उलझन का कारण बन जाता है।
  • स्वयं की चिंताओं को दूसरों की चिंताओं से कमतर आंकने की प्रवृत्ति के कारण मदद लेने की जरूरत न लगना या यह सोचना कि मुझमें प्रॉब्लम नहीं है।
  • स्वयं पर निर्भर रहने को प्राथमिकता देना क्योंकि मदद लेना या दूसरों पर आश्रित होना स्वयं के जीवन पर नियंत्रण न कर पाने के बराबर माना जाता है।
  • उपचार के मददगार ना साबित होने का पारिवारिक विश्वास या पुराना अनुभव।
  • आर्थिक और/या सहकारी मजबूरियों के चलते मदद लेने में कठिनाई।
  • मानसिक स्वास्थ्य संबंधी जानकारी सीमित होने से चिंताओं को पहचानने और जाहिर करने में कठिनाई होना जिससे बातचीत करना भी मुश्किल लगता है।

किसी व्यक्ति को मदद लेने के लिए मजबूर करना उसकी मदद नहीं करता है।

यदि किसी व्यक्ति(यों) को तैयार न होने पर भी मदद के लिए मजबूर किया जाता है, तो वे
  • खुल नहीं पाएंगे/ ज़रूरी जानकारी छुपाएंगे/ झूठ बोलेंगे
  • डर का अनुभव करेंगे या बातों को नहीं मानेंगे
  • मजबूर करने पर क्रोधित हो सकते हैं
इसलिए उन्हें सौम्यता से प्रेरित करना तथा मदद लेने के लिए तैयार होने का समय देना जरूरी है।

किसी को मदद लेने के लिए तैयार होने में मदद कैसे करें?

  • मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता तथा संवेदना बनाने के लिए, और उनकी मानसिक स्वास्थ्य की समझ के बारे में जानने के लिए, इस पर बातचीत शुरू करें।
  • आलोचना या पूर्वाग्रह से रहित होकर उनके जीवन में देखे गए बदलावों के प्रति अपनी चिंताएं व्यक्त करें।
  • उन्हें प्रेरित करने और यह बताने के लिए कि वह अकेले नहीं हैं, ऐसे लोगों के जीवन के किस्से सुनाएँ जो कि उनके जैसे ही तनाव का सामना कर रहे हैं। (उन्हें कमतर आंके बिना या तुलना किए बिना)
  • मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित जानकारी प्रदान करने वाले स्रोतों को उपलब्ध करवाएँ, अच्छे प्रोफेशनल का चुनाव करने में मदद करें आदि।
  • किसी भी झूठी धारणा की असलियत बताकर, प्रोफेशनल से शुरुआती बातचीत के लिए उन्हें प्रोत्साहित करके, उनके पहले सेशन के लिए उनके साथ जाकर उनकी चिंताओं को कम करें।

जब तक वे मदद लेने के लिए तैयार हों तब तक उन्हें संबल देने के तरीके

  • उन्हें बिना किसी शर्त के सहारा दें और उन्हें जैसी मदद चाहिए वैसी मदद दें।
  • स्वयं की क्षमताओं के प्रति सतर्क रहकर उनके रोजमर्रा के कार्यों को करने में या उनके कुछ कार्यों की जिम्मेदारी लेकर मदद का हाथ बढ़ाएं।
  • उन्हें गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रेरित करें और उनके साथ भाग लें।
  • धैर्य रखें और एक गैर आलोचनात्मक माहौल बनाएँ, जिसमें उनके मदद लेने – न लेने से कोई फर्क न पड़े।
  • उनके स्वास्थ्य पर निगरानी रखें और उन्हें जताएँ कि अगर उन्हें जरूरत है तो आप उनके साथ हैं।
  • तनाव के समय उन्हें शांत करने में मदद करने वाली बेसिक सांस लेने की एक्सरसाइज कसरतें, एंग्जाइटी टूल किट और सेफ्टी किट जैसे स्रोतों को तैयार रखें।

स्वयं की सीमाओं के प्रति सतर्क रहें

  • स्वयं की सीमाओं को समझें और स्वयं पर दबाव कम करें, क्योंकि किसी प्रोफेशनल द्वारा दी जाने वाली मदद हम नहीं दे सकते। (सुरक्षा के लिए दी जाने वाली मदद को छोड़कर)
  • स्वयं की भावनाओं का ध्यान रखे क्योंकि इस प्रक्रिया से कुंठा, थकान, असहायता आदि जैसी भावनाएँ आ सकती हैं और स्वयं का ख्याल रखना भी महत्वपूर्ण है।
  • स्वयं की शारीरिक सेहत/रोजाना के कार्यों में आने वाले बदलाव पर ध्यान देना भी ज़रूरी है क्योंकि किसी दूसरे पर ध्यान देने से हमारी सेहत तथा उत्पादकता पर भी असर पड़ सकता है।
  • ब्रेक लें चाहे वह स्वार्थ पूर्ति की तरह लगे।
  • मदद लें तथा दूसरों से मदद लेना कमजोरी या निर्भरता ना समझेl
  • स्वयं की सीमाएं निर्धारित करें और चुनें कि हम दूसरों की मदद कैसे करना चाहते हैं।
  • यदि स्वयं के मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में कठिनाई हो तो मदद लें।
यदि आप किसी दूसरे का ध्यान रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं तथा स्वयं तनाव में हैं, तो हमारी हेल्पलाइन पर कॉल कीजिए या हमें ईमेल भेजिए।